10th Hindi Qestion & Answer

10th Akshar Gyan Question Answer

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1.कविता में तीन उपस्थितियां हैं। स्पष्ट करें कि वे कौन-कौन सी हैं?

उत्तर : प्रस्तुत कविता में प्रवेश, बोध और विकास तीन उपस्थितियाँ आयी हैं अक्षर ज्ञान की प्रक्रिया सबसे पहले प्रवेश की वातावरण में प्रारंभ हुई है। प्रवेश के संपूर्ण वातावरण को यहाँ तैयार किया गया है जहाँ अक्षर ज्ञान की रेखाएँ प्रारंभ से अंत तक सिमटती सिकुड़ती ‘क’, ‘ख’ के चित्र अंकित करती हैं। उसके बाद बोध में कुछ परिपक्कता दिखाई पड़ने लगती है जहाँ अक्षर ज्ञान का एक सुदृढ़ वातावरण आता है जो मूल रूप में बोध कराता है और कौतूहल को जगाता है। अंत में विकास क्रम उपस्थित होता है जहाँ निरंतर आगे बढ़कर अक्षर का मूर्त रूप देने का प्रयास सफल होता है। यह एक सफलता है जहाँ से विकास-क्रम का सिलसिला पूर्णरूपेण जारी हो जाता है।

2.कविता में ‘क’ का विवरण स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :प्रस्तुत कविता में कवयित्री छोटे बालक द्वारा प्रारम्भिक अक्षर-बोध को साकार रूप में चित्रित करते हुए कहती हैं कि ‘क’ को लिखने में अभ्यास पुस्तिका का चौखट छोटा पड़ जाता है। कर्म पथ भी इसी प्रकार प्रारंभ में फिसलन भरा होता है। ‘क’ को कबूतर मानकर प्रतीकात्मक रूप से अक्षर बोध कराने के सरलतम मार्ग का चित्रण है। साथ ही बालक की चंचलता कबूतर का फुदकना प्रकट करता है। इसी प्रकार ‘क’ की चर्चा में व्यापकता का भाव निहित है। Bihar Board Class 10 Hindi Question Answer

3.खालिस बेचैनी किसकी है? बेचैनी का क्या अभिप्राय है?

उत्तर : खालिस बेचेनी खरगोश की है। ‘क’ सीखकर ‘ख’ सीखने के कर्म पथ पर अग्रसर होता हुआ साधक की जिज्ञासा बढ़ती है और वह आगे बढ़ने को बेचैन हो जाता है। खरगोश के माध्यम से ‘ख’ सिखाया जाना बच्चा के लिए सरल है। साथ ही खरगोश की तरह चंचल एवं तेज होकर बालक अपनी सीखने की गति तेज करता है। आशा और विश्वास में वृद्धि होता है। बंचैनी का अभिप्राय है आगे बढ़ने की लालसा, जिज्ञासा एवं कर्म में उत्साह।

4.बेटे के लिए क्या है और क्यों?

उत्तर : बेटे के लिए ‘डं’ उसको गोद में लेकर बैठने वाली माँ है। माँ नेह देती है, वात्सल्य प्रेम देती है। सीखने के क्रम में विफलता का मुँह देखता हुआ, कठिनाइयों का सामना करता हुआ जब बच्चा थके हुए अवस्था में आगे बढ़ता है तब माँ स्रेह की गोद में बिठाकर सांत्वना देती हुई आशा की किरण जगाती है। ‘ङ’ भी ‘क’ से लेकर ‘घ’ तक सीखने के क्रम के बाद आता है। वहाँ स्थिरता आ जाती है, साधना क्रम रुक जाता है। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार कर्मरत बालक माँ की गोद में स्थिर हो जाता है।

5.बेटे को आँसू कब आते हैं और क्यों?

उत्तर : यहाँ संघर्षशीलता का चित्रण है। सीखने के क्रम में कठिनाइयों का सामना करते हुए बालक थक जाता है। ‘क’ से लेकर ‘घ’ तक अनवरत सीखते हुए ‘ङ’ सीखने का प्रयास करना कठिन हो जाता है। यहाँ वह पहले-पहल विफल होता है और आँसू आ जाते हैं। कर्म पथ पर या जीवन पथ पर जब बच्चा अग्रसर होता है और संघर्ष करते हुए, गिरते-उठते चलने का प्रयास करते हुए माँ के निकट जब आता है तब स्नेह का आश्रय पाकर, ममत्व के निकट होकर रो देता है। Class 10th Hindi Notes,Class 10th Hindi Question Answer,Matric Hindi Question Answer,10th Hindi All Chapter Question Answer,10th Axar Gyan Notes

6.कविता के अंत में कवयित्री ‘शायद’ अव्यय का क्यों प्रयोग करती है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : यह पूर्ण सत्य है कि प्रस्तुत कविता में अक्षर-ज्ञान की प्रारंभिक शिक्षण-प्रक्रिया एक चित्रात्मक शैली में की गई है। यह सृष्टि के विकासवाद का सूत्र उपस्थित करता है। सीखाने के क्रम में जो तीन उपस्थिलियाँ उत्पन्न हुई वे विकास का ही द्योतक है। यहाँ कविता के अंत में ‘कवियत्री’ शायद अव्यय का प्रयोग करके यह स्पष्ट करना चाहती है कि जो अक्षर-ज्ञान में बच्चों को मसक्कत करना पड़ता है वही मसक्कत सृष्टि के विकास में करना पड़ा होगा। शायद सृष्टि का प्रारंभिक कर्म गति से चला होगा।

7.कविता किस तरह एक सांत्वना और आशा जगाती है? विचार करें।

उत्तर : कविता में एक प्रवाह है जो विवासवाद के प्रवाह का बोध कराता है। सांत्वना और आशा सफलता का मूल मंत्र है। विकास क्रम में व्यक्ति जब प्रवेश करता है तब उसे उत्थान-पतन के मार्ग से गुजरना पड़ता है। जैसे अक्षर-ज्ञान की प्रारंभिक शिक्षण-प्रक्रिया अति संघर्षशील होती है। लेकिन अक्षर ज्ञान करवाने वाली ममता की मूर्ति माँ सांत्वना और आशा का बोध कराते हुए शिशु को कोमलता प्रदान करती है और इसी कोमलता में शिशु का प्रयास सफलता के चरम सीमा पर स्थापित करता है।

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8.व्याख्या करें “गमले-सा टूटता हुआ उसका ‘ग’

घड़े-सा लुढ़कता हुआ उसका ‘घ’

व्याख्या : प्रस्तुत व्याख्येय पक्तियाँ हमारी हिन्दी पाठ्य-पुस्तक के अक्षर-ज्ञान‘ शीर्षक से उधृत है। प्रस्तुत ‘अंश में हिन्दी साहित्यं के समसामयिक कवयित्री अनामिका ने अक्षर-ज्ञान की प्रारंभिक शिक्षण प्रक्रिया में संघर्षशीलता का मार्मिक वर्णन किया है। कवयित्री कहते हैं कि बच्चों को अक्षर-ज्ञान की प्रारंभिक शिक्षण प्रक्रिया कौतुकपूर्ण है। एक चित्रमय वातावरण में विफलताओं से जूझते हुए अनवरत प्रयासरत आशान्वित निरंतर आगे बढ़ते हुए बच्चे की कल्पना की गई है। ‘ग’ को सीखना गमले की तरह नाजुक है जो टूट जाता है। साथ ही ‘घ’ घड़े का प्रतीक है जिसे लिखने का प्रयास किया जाता है लेकिन लुढक जाता है अर्थात् गमले की ध्वनि से बच्चा ‘ग’ सीखता है और ‘घडे’ की ध्वनि से ‘घ’ सीखता है।

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